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Wednesday 3 August 2016

कैसे बताऊँ कौन हो तुम


त्रिगुणोंका निर्माण हो तुम, महाभूतोंका संचार हो तुम |
इंद्रियोंका व्यापार हो तुम, पच्चीस तत्वोंका निर्वाण हो तुम ||१||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

सृष्टी की रचना हो तुम, माया की वंचना हो तुम |
शिव की धारणा हो तुम, जीव की कल्पना हो तुम ||२||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

ब्रह्मा का उन्मीलन तुम, विष्णु का सम्मीलन तुम |
शंभू का निर्दालन तुम, ईश्वर का उच्चारण तुम ||३||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

संचित का ज्वलन हो तुम, प्रारब्ध का हवन भी तुम |
क्रियमाण का अर्पण तुम, भवसागर का आचमन हो तुम ||४||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

स्थूल का अस्तित्व तुम, सूक्ष्म का गंतव्य तुम |
कारण का भास्यत्व तुम, महाकारण का वास्तव्य तुम ||५||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

भूत का फुत्कार हो तुम, भविष्य की चीत्कार हो तुम |
वर्तमान का डंका तुम, त्रिकालाबाधित नि:शंका तुम ||६||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

मत्स्य का विस्तारण तुम, कूर्म की मजधार भी तुम |
वराह का संहारण तुम, नरसिम्हा की गर्जना हो तुम ||७||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

वामन का आवाहन तुम, परशु का शरणाहन तुम |
बुध्द का आक्रन्दन तुम, कबीर का स्वच्छंदन तुम ।।८।।
कैसे बताऊँ कौन हो तुम ।

सीता का पावित्र्य तुम, लक्ष्मण का स्वाभिमान हो तुम,
दशरथ का विरह भी तुम, राम की निष्ठा हो तुम ।।९।।
कैसे बताऊँ कौन हो तुम ।

राधा की मुसकान हो तुम, मीरा का विश्वास हो तुम |
यशोदा का दुल्हार हो तुम, कृष्ण की लीला भी तुम ।।१०।।
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

भास्कर की तप्तता हो तुम, शशी का सौहार्द तुम ।
पर्वतोंकी गंभीरता तुम, झरनोंकी चंचलता तुम |।११।।
कैसे बताऊँ कौन हो तुम ।


पंखोंका गुंजारव तुम, पौधोंकी ललकार हो तुम
प्राणिमात्र का आलाप हो तुम, मनुष्य का वार्तालाप भी तुम ||१२।|
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

बलभीम का साहस हो तुम, भागीरथी का प्रवाह तुम |
दत्तू का दृष्टीकोन भी तुम, तनुजा की हृदय में बसे माधुरी का स्वानुभव हो तुम ||१३||
कैसे बताऊँ कौन हो तुम |

तनुजा सावंत